Thursday 20 December 2012

एक पत्र ..

मेरे  ब्लॉगर मित्रों
सादर नमस्कार
इधर कुछ दिनों से अपने लेख ब्लॉग पर डालने का मन नहीं कर रहा है . मैंने पाया है की मेरी स्वीकृति के बिना कुछ एक मित्रों ने मेरे लेख
 " share " किये हैं .
मुझे अफ़सोस है की इतने मन से 'कलमदान' में जीवन भारती हूँ ..परन्तु कुछ मित्रगण ,दुसरे की मेहनत का फायदा उठाते हैं .
मन खट्टा हो गया .
क्या आप लोग मेरा मार्गदर्शन कर सकते हैं की ऐसे लोगों का पता कैसे लगाऊँ और कैसे अपने लेखों को बचा के रखूँ .
आप सब लोग इस ब्लॉग  जगत में काफी अनुभव रखते हैं ..मेरा मार्गदर्शन करें ..
शुभकामनाओं सहित 
ऋतू बंसल 

Sunday 2 December 2012

सर्दी की हवा ...







कौन कहता है इन रातों में बेखबर से सोये थे हम 
सर्द रातों में अलावों पर सेक रहे थे सपनों को 
सिहर उठती थी रूह जब पास से गुज़र जाती थीं तुम 
और भी उड़ जाती थी रंगत मेरी हथेलियों की 
तरसते थे पाने को एक कौना बिस्तरबंद का 
जब लहरा के पलट कर बल खा के तुम फिर आ जातीं थीं
(चित्र गूगल से )