कलमदान
यह एक ऐसा पट है जहां ज़िन्दगी के अनुभव एक चाय के प्याले में जीवन की मिश्री और रंग के सामान घुले हुए नज़र आते हैं..बस ज़रुरत है तो एक घूँट पीने की .. This is a platform to melt the emotions into the cappuccino of LIFE..and then sip the creamy effervescence of experiences..!!
Monday 12 March 2018
Saturday 10 March 2018
Thursday 8 March 2018
मैं बेमिसाल हूँ ...
मुझीमें है समुन्दर मुझी से बरसती है बूँदें ..मै ही हूँ सात रंग ..मुझी में हैं नगमें ..
मुझी में है फ़लक मै ही शानदार हूँ ..मुझी में है वो झलक के मै तेरा राज़दार हूँ ..
आजा बिठा के तुझको सितारों की कश्तियों पे ..मौजों को भरके आगोश में मस्तियों के
दिखा आऊं वो शहर जहां पर काफ़िल मिलें ..डालूँ वो नज़र जहां पर हौसले मिलें ..
तुम्हारी ही कल्पना हूँ मै तुम्हारा ही ख़याल हूँ ..तुम्हारा ही हुनर हूँ मै ..
मै बेमिसाल हूँ ...!!
(चित्र गूगल से साभार )
Wednesday 7 March 2018
मेरी चवन्नियों सी चाहतें
मेरी चवन्नियों सी चाहतें पत्तों सी लगी हैं पेड़ों पर
जैसे जमी हो बर्फ उन पत्तों पर और रोज़ सुबह पिघल जाती हो ,
टप टप बूँदें बनकर गिरती हों ज़मीं पर ..
हर रात फिर एक सतह जम जाती हो उन पत्तों पर
फिर सुबह बूँद बूँद टपकने को
एक दिन आएगा जब पत्ता बे रंग हो जाएगा
और झड जाएगा डाली से ..
मिल जाएगा उस मिटटी में
और रह जायेगी सिर्फ चवन्नी ...
नया अंकुर फूटेगा उसी डाली पर
और फिर लहलहायेंगी मेरी चाहतें ..
रोज़ छेड़ेंगी उसे हवाएं ,और वो मुस्कुराएगा
मौसमों से लड़ते हुए ,वो बढ़ता जाएगा ...
(चित्र गूगल से साभार )