Friday 25 July 2014

कुछ दूर पड़े थे सितारे ....


कुछ दूर पड़े  थे सितारे,
बस  हाथ भर की ही दूरी थी 
पहुँच न पाए उन तक ,ये मेरी मजबूरी थी ..
कह न पाए दास्तान जो अधूरी थी ..
कुछ रस्में निभाना भी ज़रूरी थी...

(चित्र गूगल से )

Sunday 20 July 2014

...चार बातें .....


    1......सख्त ज़मी पर नमी भी नहीं ,मेरे तसव्वुर में कहीं कमी तो नहीं 
दो बूंदों से ही सिर्फ महक जाती है रेत, क्यूँ कभी ओस जमी ही नहीं ...

       2........मैं तलबदार नहीं खामोशियों का ..मुझे गुफ्तगू अच्छी लगती है ..
मुझे परेशानियां नहीं ...खुशियाँ रूबरू अच्छी लगती हैं ..

3.........कसम साथ चलने की जो संग तुम्हारे ,हमने हमने खायी है ..
क्यूँ डरें रंजो गम से ..के संग जब सितारों की रहनुमाई है ..

4.........................ये धुंध सी क्यों छाई है ,या फिर कोई परछाई है ..
कुछ दिखाई नहीं देता ..या अश्कों की रानाई  है ..

(चित्र गूगल से साभार )

Thursday 17 July 2014

हारश्रिंगार ..



जीत में हो या चाहत में हो ,हर हार में एक  मज़ा यार है 
सोने चांदी के हों या पुष्पों के  ,हर हार में छुपा प्यार है 
हर जीत पे सजता  हार है ..
कभी प्रिय के तो कभी हरी के ,मुख का ये श्रृंगार है 
हार कर दिल जीत होती  ,हार  प्रिय प्रेम का उपहार है 
हार जीत को प्रेरित करती ,कभी हार ..वैभव का आधार है 
बचपन से बुढापा हार कर ,सहर्ष जीवन  बनता आधार है 
यूँ परस्पर जीवन मृत्यु ,ये जीवन हारश्रिंगार है ...
(चित्र गूगल से साभार )


Monday 14 July 2014

किश्तों में देता है ...




दिया तूने प्यार बेशुमार ,मगर 
इज़हार तू किश्तों में देता है ..
दोस्त मिले हर बार ,मगर 
यार तू.. किश्तों में देता है ..

जीने के लिए उम्र बेशुमार ,मगर 
संसार तू किश्तों में देता है ..
साँसों को हर 'पल' का इंतज़ार ,मगर 
करार तू ..किश्तों में देता है ..

बादल कितने भी हों घनार ,मगर 
फुहार तू किश्तों में देता है ..
हमसफ़र मिले हज़ार ,मगर 
मददगार तू.. किश्तों में देता है ...

    (चित्र गूगल से साभार )


सावन ...२०१४




ये बदरियाँ भी क्यों  बेचैन कर देती हैं 
सावन में दिन में भी  रैन कर देती हैं 
एक कशिश सी है इन मीठी फुहारों में 
ये छींटे यूँ  ही अजब नैन भर देती हैं ..
(चित्र गूगल से साभार )