Friday 31 July 2015

बात इतनी सी है ...


(चित्र गूगल से साभार )

कुछ कही न गयी जों ,कुछ बातें हैं वो  बतानी 
बात इतनी सी है 
कुछ शाम कुछ कहानी ,बात इतनी सी है 
मुझे फर्क नहीं कुछ ,बदल भी जाओ जो  तुम 
मुझे याद हैं वो निशानी ,बात इतनी सी है  
नहीं भूलेगा कभी , की कभी की थी बड़ी मनमानी 
बात इतनी सी है 
कभी शब्द तो कभी सिर्फ पानी ,बात इतनी सी है ...




Monday 20 July 2015


अपनापन ...







कुछ अपनों को , अपना बनाने में 
हम अपनापन खोते रहे
कुछ गैरों से उनको बचाने में
हम अपनापन खोते रहे
ताउम्र मिली तकलीफों में
उनको आजमाने में ,
हम अपनापन खोते रहे
हर रोज़ बदलते मयखानों में
हम अपनापन खोते रहे
कुछ रिश्ते अनजानों में 
हम अपना पन खोते रहे 
कहीं किन्हीं गिरेबानों से
हम अपनापन खोते रहे..